कुछ अनकही सी......

जिंदगी चाहिए मुझको मानी भरी, चाहे कितनी भी हो मुख्तसर, चाहिए।

शुक्रवार, 13 मई 2011

अब क्या करे अवनी?

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प्रस्तुतकर्ता रक्षा द्विवेदी पर 11:25 pm 3 टिप्‍पणियां:
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